मोतियाबिंद विकसित होने के मुख्य कारण!
मोतियाबिंद विकसित होने के मुख्य कारण!: मोतियाबिंद, जिसे अंग्रेजी में कैटरेक्ट कहा जाता है, एक नेत्र रोग है जो मुख्यतः उम्र बढ़ने के साथ होता है। यह आंख के लेंस में धुंधलापन या अपारदर्शिता उत्पन्न करता है, जिससे दृष्टि प्रभावित होती है। आंख का लेंस एक पारदर्शी संरचना है, जो प्रकाश को आंख के रेटिना पर केंद्रित करने में मदद करता है, जिससे हमें स्पष्ट दृष्टि मिलती है। जब लेंस में धुंधलापन या अपारदर्शिता होती है, तो यह प्रकाश को रेटिना पर सही ढंग से केंद्रित नहीं कर पाता, जिससे दृष्टि में धुंधलापन, धुंधलापन और अन्य दृश्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
मोतियाबिंद का विकास धीरे-धीरे होता है और शुरुआत में इसके लक्षण हल्के होते हैं। जैसे-जैसे यह बढ़ता है, दृष्टि में और अधिक कमी आती है। मोतियाबिंद का मुख्य कारण उम्र बढ़ना है, लेकिन अन्य कई कारण भी हो सकते हैं जो इस रोग के विकास में योगदान करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मोतियाबिंद विश्व में अंधता का सबसे बड़ा कारण है, खासकर उन देशों में जहां स्वास्थ्य सुविधाएँ सीमित हैं।
मोतियाबिंद की सर्जरी एक सामान्य और सुरक्षित प्रक्रिया है, जिसमें आंख के धुंधले लेंस को निकालकर उसकी जगह एक कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपित किया जाता है। इस सर्जरी से दृष्टि में सुधार होता है और मरीज सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो जाते हैं। इसलिए, मोतियाबिंद के लक्षण महसूस होते ही नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करना और समय पर जांच और उपचार करवाना बेहद महत्वपूर्ण है।
मोतियाबिंद के कारण:
1. आयु:
उम्र बढ़ने के साथ-साथ आंखों के लेंस में प्रोटीन का संग्रहण होता है, जिससे लेंस धुंधला हो जाता है। 40 वर्ष की आयु के बाद मोतियाबिंद विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। उम्र बढ़ने से लेंस की संरचना में परिवर्तन होते हैं और यह कठोर और अपारदर्शी हो जाता है।
2. जेनेटिक फैक्टर:
परिवार में मोतियाबिंद की पूर्ववृत्ति होने पर इसकी संभावना बढ़ जाती है कि अगली पीढ़ी में भी यह समस्या हो सकती है। कुछ आनुवंशिक विकारों के कारण आंखों में मोतियाबिंद जल्दी विकसित हो सकता है।
3. डायबिटीज:
डायबिटीज के मरीजों में मोतियाबिंद का खतरा अधिक होता है। उच्च रक्त शर्करा के स्तर से लेंस में फ्रक्टोज और सोर्बिटोल जमा हो जाते हैं, जो लेंस को धुंधला कर सकते हैं। डायबिटीज़ से संबंधित ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी लेंस को नुकसान पहुंचा सकता है।
4. सूर्य की हानिकारक किरणें:
लंबे समय तक सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में रहने से आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है। UV किरणें लेंस की संरचना को नुकसान पहुंचा सकती हैं और धुंधलापन उत्पन्न कर सकती हैं।
5. धूम्रपान:
धूम्रपान आंखों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह लेंस के प्रोटीन को नुकसान पहुंचा सकता है और मोतियाबिंद विकसित होने का खतरा बढ़ा सकता है। धूम्रपान से उत्पन्न रसायन लेंस को अपारदर्शी बना सकते हैं।
6. शराब का सेवन:
अत्यधिक शराब का सेवन आंखों के लेंस को प्रभावित कर सकता है, जिससे मोतियाबिंद विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। शराब से लेंस में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है, जो इसके अपारदर्शी बनने का कारण बन सकता है।
7. पोषण की कमी:
अगर आहार में एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन सी और ई, और कैरोटिनॉयड्स की कमी हो तो मोतियाबिंद विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। यह पोषक तत्व आंखों के लेंस को ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाने में मदद करते हैं।
8. मोटापा:
मोटापे से ग्रस्त लोग मोतियाबिंद के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। यह मुख्यतः डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के कारण होता है, जो मोटापे से जुड़ी होती हैं। मोटापे से जुड़े मेटाबॉलिक परिवर्तन भी लेंस को प्रभावित कर सकते हैं।
9. आंखों की चोट:
किसी भी प्रकार की आंखों की चोट से लेंस को नुकसान हो सकता है, जिससे मोतियाबिंद विकसित हो सकता है। यह चोट लेंस के ऊतकों में सूजन और प्रोटीन का परिवर्तन कर सकती है, जिससे लेंस धुंधला हो जाता है।
10. पूर्व सर्जरी:
कभी-कभी आंख की सर्जरी, जैसे ग्लूकोमा सर्जरी, मोतियाबिंद के विकास का कारण बन सकती है। सर्जरी के दौरान आंख के लेंस को प्रभावित करने वाले कारक मोतियाबिंद उत्पन्न कर सकते हैं।
11. स्टेरॉयड्स का प्रयोग:
लंबे समय तक स्टेरॉयड्स का सेवन या उपयोग मोतियाबिंद के विकास को बढ़ावा दे सकता है। स्टेरॉयड्स लेंस में प्रोटीन की संरचना को बदल सकते हैं और धुंधलापन उत्पन्न कर सकते हैं।
12. रेडिएशन एक्सपोजर:
रेडिएशन थेरेपी या रेडियोधर्मी पदार्थों के संपर्क में आने से आंखों के लेंस में अपारदर्शिता उत्पन्न हो सकती है, जिससे मोतियाबिंद विकसित हो सकता है। रेडिएशन लेंस के कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और उनकी सामान्य कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है।
मोतियाबिंद के ये सभी कारण एक दूसरे के साथ मिलकर आंख के लेंस को प्रभावित कर सकते हैं। इन कारणों को समझकर और उनके जोखिम को कम करके हम मोतियाबिंद की संभावना को कम कर सकते हैं।
उपचार के लिए डॉ. सुरेश गर्ग आई हॉस्पिटल, Delhi NCR!
मोतियाबिंद के उपचार के लिए डॉ. सुरेश गर्ग आई हॉस्पिटल (Eye Hospital In DelhI), दिल्ली एनसीआर में अत्याधुनिक सुविधाएं और विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध हैं। यहाँ पर लेटेस्ट सर्जिकल तकनीकें और उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जिससे मरीजों को बेहतरीन उपचार मिलता है। मोतियाबिंद एक सामान्य लेकिन उपचार योग्य समस्या है। अगर आपको या आपके किसी प्रियजन को मोतियाबिंद के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत डॉ. सुरेश गर्ग आई हॉस्पिटल, दिल्ली एनसीआर में जांच करवाएं और उचित उपचार पाएं।
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FAQ:
1. मोतियाबिंद का प्रारंभिक लक्षण क्या है?
मोतियाबिंद का प्रारंभिक लक्षण दृष्टि में धुंधलापन और रात्रि दृष्टि में कमी है।
2. क्या मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी के बिना संभव है?
प्रारंभिक अवस्था में चश्मे और दवाओं से मदद मिल सकती है, लेकिन पूर्ण उपचार के लिए सर्जरी ही एकमात्र समाधान है।
3. मोतियाबिंद सर्जरी के बाद कितना समय लगता है ठीक होने में?
मोतियाबिंद सर्जरी के बाद कुछ ही दिनों में मरीज सामान्य गतिविधियों को कर सकता है, लेकिन पूर्ण ठीक होने में लगभग एक महीने का समय लगता है।
4. क्या मोतियाबिंद सर्जरी सुरक्षित है?
हां, मोतियाबिंद सर्जरी एक सुरक्षित प्रक्रिया है और इसके सफल परिणाम बहुत ही अच्छे होते हैं।
5. क्या मोतियाबिंद सर्जरी के बाद दृष्टि पूरी तरह से ठीक हो जाती है?
अधिकांश मामलों में, हां। सर्जरी के बाद दृष्टि में काफी सुधार होता है और मरीज सामान्य दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं।